ए जाई रही रे मनवा जाई रही
म्हारी सूरत गगन पर जाई रही
हां गगन मंडल पर चढ़ कर देखो
ए जगमग ज्योति वा होई रही
म्हारी सूरत गगन पर जाई रही..
हां अमरत बरसे बादल गरजे
ए बिजली सी चमक मन भाई रही
म्हारी सूरत गगन पर जाई रही..
हां गगन मंडल पर सेज पिया की
ए चुन चुन फुल बिछाई रही
म्हारी सूरत गगन पर जाई रही..
हां कहत कबीरा सुनो भई साधो
ए शहर रूप दरसाई रही
म्हारी सूरत गगन पर जारी रही
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