गुरु कितना दे उपदेश
Guru Kitna de Updesh murakh thane ek nahi lage
गुरु कितना दे उपदेश मुरख थाने एक नहीं लागे
एक नहीं लागे रे मुरख थाने जरा नहीं लागे
गुरु कितना दे उपदेश मुरख थाने एक नहीं लागे
हां सुखा लक्कड़ के घणो घणो बिंद्यो नहीं पान फूल आवे
इणा कागला के घणो भणायो कंरा-कंरा बोले
गुरु कितना दे उपदेश…
इणा कायर के तो बांद्यो सेवरो ने कर्यो फोज आगे
अरे भाला कि या आणी देखिने दूरों दूरों भागे
गुरु कितना दे उपदेश…
इणा नुगरा के ज्ञान बतायो नहीं ज्ञान ध्यान आवे
अरे अमल के तो घणो धोइयो तो भी जहर आवे
गुरु कितना दे उपदेश…
हां रामानंद मोहे पूरा गुरु मिल गया कर्म भरम भागे
अरे कहे कबीर सुनो भई साधो मेरा देश आगे
गुरु कितना दे उपदेश…
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Guru kitna de updesh re murakh
#kabirbhajan