Guru Bina koi Kam ni aave
गुरु बिना कोई काम नी आवे
अरे गुरु बिना कोई काम नी आवे, अरे कुल अभिमान मिटावे हे
कुल अभिमान मिटावे हो साधो, अरे सतलोक पहुचंावे हे
गुरु जी बिना कोई काम नी आवे…
अरे नारी कहे मैं संग चलूँगी, ए ठगणी ठग ठग खाया है
अंत समय मुख मोड़ चली है, अरे तनिक साथ नहीं देणा है
गुरु जी बिना कोई काम नी आवे…
अरे कौड़ी कौड़ी माया रे जोड़ी, अरे जोड़ी ने महल बणाया है
अंत समय में थारे बाहर करिया, उस में रह नहीं पाया है
गुरु जी बिना कोई काम नी आवे…
अरे जतन जतन कर तुझको रे पाला, वाको लाड़ अनेक लड़ाया है
तन की लकड़ी तोड़ी लियो है, लम्बा हाथ लगाया है
गुरु जी बिना कोई काम नी आवे…
अरे भाई बंधू और कुटम्ब कबीला, अरे धोखे में जीव बंधाया है
कहे कबीर सुनो भाई साधो, कोई पूरा गुरु बन्ध छुड़ाया है
गुरु जी बिना कोई काम नी आवे…
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