पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी – Pile Amiras Dhara Gagan Me Jhadi lagi

 पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी

Pile Amiras Dhara Lyrics in hindi

ऐ जी पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी

अरे झड़ी लगी रे झड़ी लगी, पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी


हां बुंद का प्यासा घढ़ा भर पाया, सपने में वो स्वाद न आया

हे जी कौन किसे कैसे समझाये, अरे एक बुंद की या तरण लगी  

पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी…

अरे झड़ी लगी रे झड़ी लगी, पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी


अरे प्यास बीना क्या पीये रे पाणी प्यास के लिये हे वो पाणी

ऐ जी बीना अधिकार कोई नही जाणी, अरे अमृत रस की झड़ी लगी

पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी…

अरे झड़ी लगी रे झड़ी लगी, पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी


हां अमृत पीये जो अमर पद पावे, भव योनी में कभी न आवे

हां जरा मरण को दुःख न सावे, थारे घट की गगरीया भरण लगी

पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी…

अरे झड़ी लगी रे झड़ी लगी, पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी


अरे अमृत बुंद गुरूजी की बाणी, जीवन रस्ता है यह बाणी

अरे कबीर संगत में हो हमारी, अरे डाली प्रेम की वा हरी लगी 

पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी…

अरे झड़ी लगी रे झड़ी लगी, पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी

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#kabirbhajanlyrics

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