बिना गुरू ज्ञान न पाया मोरे सादुभाया
Bina Guru gyan Na Pao More Sadhu bhaya Lyrics
बिना गुरू ज्ञान न पाया मोरे सादुभाया
बिना गुरू नाम न पाओगा मोरे सादुभाया
फोगट जनम गवाया हो हां व्यर्था ही जनम गवाया हो
हां जल भर कुंभ रहे जल भीतर , बाहर भीतर वहां के पानी हो…
हां उलट कुंभ जल, जल ही समाणा,
तब क्या करे वहां ज्ञानी रे मोरे साधु भाया
बिना गुरू ज्ञान न पाया हो, फोगट जनम गवाया हा
हां जी बिना करताल, पखावत बाजे, बिन रसना से गुण गाया हो..
हां गावणहार को रूप नहीं रेखा
सतगुरू अलख लखाया मोरे साधु भाया
बिना गुरू ज्ञान न पाया हो, फोगट जनम गवाया हो
हां हेर अकाह अहा सबहीन मे, दरिया तो लहर समाया हो
हां जाल डाल वहाॅं क्या करे डीमर मीन को होई गयो पानी मोर साधु भाया
बिना गुरू ज्ञान न पाया हो, फोगट जनम गवाया हो
हां पक्षी को खोजर मीन को मार्ग, ढुंड से न कोई पाया हो
हां कहे कबीर सत गुरू मिले पुरा
हां भूले को राह बतावेगा मोरे साधु भाया
बिना गुरू ज्ञान न पाया हो, फोगट जनम गवाया हो
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