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कई हेरती डोलू म्हारी हेली – Kayi dhundhti phire mhari heli

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Kayi herti phire mhari heli

कई हेरती डोलू म्हारी हेली

कई हेरती डोलू म्हारी हेली, कई भागती फिरू म्हारी हेली

घट-घट में राम जी बोले री, परघटे पियाजी बोले री

कई हेरती डोलू म्हारी हेली, कई भागती फिरू म्हारी हेली

 

अरे मूरम कोर मंदिर मेली, अरे वा मुखड़े से कदी ना बोली

दिवान तो दरवाजे ठाड़ा, अरे बिना हुकुम कुण खोले री

कई हेरती डोलू म्हारी हेली, कई भागती फिरू म्हारी हेली

 

या राम नाम की बालाद उतरी, अरे बिन गाहद कुण खोले हेली

मुरख ने कई ज्ञान बतावा, अरे राई पर्वत का ओले री

कई हेरती डोलू म्हारी हेली, कई भागती फिरू म्हारी हेली

 

थारी घर पर्वत से गंगा निकली, थारी मैली काया धोय ले री

बिन साबुन से मैल कटे री, थारी मलमल काया धोय ले री

कई हेरती डोलू म्हारी हेली, कई भागती फिरू म्हारी हेली

 

जौहरी बाजार लग्यो घट भीती, थारो मन चाहे जो लेले हेली

हीरा तो जौहरी ने बीण लिया, हां मुरख कांकरा तौले री

कई हेरती डोलू म्हारी हेली, कई भागती फिरू म्हारी हेली

 

अरे नाथ गुलाब  मिल्या गुरू पुरा, म्हारा दिल की घुण्डी खोले वो हेली

भवानी नाथ शरणे सतगुरू के, हे गुरू भज निर्मल होय ले हेली

कई हेरती डोलू म्हारी हेली, कई भागती फिरू म्हारी हेली

घट-घट में राम जी बोले री, परघटे पियाजी बोले री

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Kai herti fire mhari heli Lyrics

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