Koi sunta hai guru
कोई सुनता है गुरू ग्यानी गगन में
कोई सुनता है गुरू ग्यानी गगन में
आवाज हो रही झीनी झीनी
ओहं सोहं बाजा बाजे त्रिकुटी शब्द निशानी
इंगला पिंगला सुखमन सोवे, अरे सुन ध्वजा फहरानी
गगन में आवाज हो रही झीनी झीनी
वाहां से आया पता लिखाया तृष्णा नाहीं बुझाई
अमृत छोड़ विष रस पीवे, उलटी फांस फसानी
गगन में आवाज हो रही झीनी झीनी
पहिले आये नाद बिंदु से पीछे जमाया पानी
सब घट पूरण बोली रहा है, अलख पुरूष निरबाणी
गगन में आवाज हो रही झीनी झीनी
दनभर रे जो नजर भर देखे अजर अमर हो निशानी
कहे कबीरा सुनो भाई साधो अगम निगम की या बाणी
गगन में आवाज हो रही झीनी झीनी
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