Guru Sarika Dev
गुरु सरिका देव हमारे मन भावे सदा मन भावे
अरे गुरु सरिका देव हमारे मन भावे सदा मन भावे
गुरु काटे करम की जाल जीव सुख पावे
गुरू काटे भरम की जाल जीव सुख पावे ।।
अरे वा गुराजी की सेण समझकर धावे समझकर धावे
भई वो नर संत सुजान मन उलटावे
अरे गुरु सरिका देव हमारे मन भावे सदा मन भावे
गुरु काटे करम की जाल जीव सुख पावे
गुरू काटे भरम की जाल जीव सुख पावे ।।
अरे इंगला रे पिंगला नारी सुकमणा को धावे सुकमणा को धावे
भई अरद उरद रा बिच मन ठेहरावे
अरे गुरु सरिका देव हमारे मन भावे सदा मन भावे
गुरु काटे करम की जाल जीव सुख पावे
गुरू काटे भरम की जाल जीव सुख पावे ।।
अरे एक अखंडित नाथ चराचर धावे चराचर धावे
भई सकल ब्रह्म के माय वेद यु गावे
अरे गुरु सरिका देव हमारे मन भावे सदा मन भावे
गुरु काटे करम की जाल जीव सुख पावे
गुरू काटे भरम की जाल जीव सुख पावे ।।
अरे बोल्या ईश्वरदास भरम ने भगावे भरम ने भगावे
भई शीतल चरणों के माय सदा सुख पावे
अरे गुरु सरिका देव हमारे मन भावे सदा मन भावे
गुरु काटे करम की जाल जीव सुख पावे
गुरू काटे भरम की जाल जीव सुख पावे
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