Bawri wo kadi chala
बावरी वो कदी चला गुरुना देश में है
हेली मारी निर्गुण सेर्या बड़ी सांकड़ी हे वां तो चढ़ीयो नहीं जाए जी
हां चढ़ी जावां तो पिव मिले मारी हेली जीव अमर हुई जाए ।।
बावरी वो कदी चला गुरु ना देश में हे गया पुरूष नहीं आया है
चढ़ी जांवां ने नीचे गिर पड़ु म्हारी हेली जीव आकारथ जाए ।।
बावरी वो कदी चला गुरुना देश में है…
हां का तो उगो ने का आथम्यो म्हारी हेली का उजियारा होए जी
यही उगो ने यही आथम्यो म्हारी हेली यही उजियारा होए।।
बावरी वो कदी चला गुरुना देश में है…
हां का तो गाजे ने का बरसे म्हारी हेली का सूखा का हरिया होए जी
यही गाजे ने यही बरसे मारी हेली यही सुखा का हरिया होए।।
बावरी वो कदी चला गुरुना देश में है…
हां अनहद का बाजार में म्हारी हेली हीरा को व्यापार जी
सुगरा माणस सोदो कर चाल्या मारी हेली नुगरा ई मुल गवांय।।
बावरी वो कदी चला गुरुना देश में है…
हेली मारी कंचन घांस जहां नीबजे रे वां म्हारा साहिब जी री सेज है
कहे कबीर धर्मदास से म्हारी हैली वहां नई तो मरे ने बूढ़ा होए।।
बावरी वो कदी चला गुरुना देश में है…
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Bawri wo kadi chala guru ka desh me
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