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मैं केसे पाऊ री सखी – Mai Kaise paau ri sakhi Mai kaise paau ri

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Mai Kaise paau ri sakhi

 मैं केसे पाऊ री सखी मैं केसे पाऊ री

पिया का हो दिदार मैं केसे पाऊ री

 

ओढ़ ज्ञान की चुनरी में पिया रीझावा जाए म्हारी सय्यां सय्यां वो

हरे ऊसी पिया के देस में री  नही धुप नहीं छांव 

में केसे पाऊं री पिया का हो दिदार मैं केसे पाऊ री

 

कागज की कट पुतली ने कोई परण लै जाई म्हारी सय्यां सय्यां वो 

हरे किजो म्हारा पिव ने री वोही परणवा आई

 में केसे पाऊ री पिया का हो दिदार मैं केसे पाऊ री

 

 वहां तो हुं पहंुचू नहीं रे हेलो दियो न जाई म्हारी सय्यां सय्यां वो

हां किजो म्हारा पिव सेे री म्हारी बय्या पकड़ लइजाई 

में केसे पाऊ री पिया का हो दिदार मैं केसे पाऊ री

 

अदर भोप है देश पिया का वही हमारा गांव म्हारी सय्यां सय्यां वो

 अरे कहे कबीर सुनो भाई साधो पिया तो मिले हैं सत लोक

मैं कैसे पाऊ री

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Mai Kaise paau ri sakhi

Mai Kaise paau ri sakhi

 

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