Shravan Kumar Bhajan
श्रवण भैया पानी रे पीला
श्रवण भैया पानी रे पीला
वन मे रे लाला प्यास लगी
नहीं कुंआ नहीं बावड़ी रे कहां से लाउ नीर
राम रे नहीं कुंआ नहीं बावड़ी कहां से लाउ नीर
चढ़ी पेड़ ने देखीयो रे नज के भरियो रे दरियाव
वन मे रे लाला प्यास लगी
नीचे तो कावड़िया रख दी तुंबी ले उठाएं राम रे
चढ़ी पैड ने देखीयो रे नजके भरियो रे दरियाव
वन मे रे लाला प्यास लगी
तुंबी को भरता देखी ने जसरथ बाण उठाय राम रे
ले बांण दशरथ ने मारा पड़ता भजो रे भगवान
वन मे रे लाला प्यास लगी
नहीं श्रवण का सरपटा ने नहीं श्रवण की चाल राम रे
आंदा देख्या आवता ने खोटा दिया श्राप
इसी बांण से सरवण को मारा इसी बांण से तेरा अंतकाल
वन मे रे लाला प्यास लगी
दोई कर जोड़े गोरख बोल्या पाया बैकुंठ वास राम रे
सरवण भैया पानी रे पीला
वन मे रे लाला प्यास लगी
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Shravan Kumar Bhajan Lyrics
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