ऐसा है कोई बैरागी
Aisa Hai Koi Bairagi Mhari surat Sahib Ji Se Lagi Lyrics
ऐसा है कोई बैरागी, म्हारी सूरत साहिब से लागी
गुरुजी जोगी होय उणा ब्रह्म से झगङे
शून में बाँधों धर्मशाला साधो
ऐसा है कोई बैरागी, म्हारी सूरत साहिब से लागी ।।
गंगा जमना और सरस्वति, तीनों बहे एक धारा वो साधो
कर स्नान ध्यान पर बैठा, वहाँ खुल गया धर्म द्वारा वो साधो ।।
ऐसा है कोई बैरागी, म्हारी सूरत साहिब से लागी
त्रिकुटी बैठी तिलक संजोया, कंकनाल न झकोरा वो साधो
सुन रे तार्की तुम, ङोरी साधो, और जप लिजो जाप अजापा वो साधो ।।
ऐसा है कोई बैरागी, म्हारी सूरत साहिब से लागी
पाँच से जायी पच्चीस मरिया रे जद, छठा से ध्यान लगाया वो साधो
पछम दिशा की तुम खोलो रे किवाड़ी,
वहाँ मिला गया साहिब जी का द्वारा वो साधो ।।
ऐसा है कोई बैरागी, म्हारी सूरत साहिब से लागी
कहे कबीर सुनों भाई साधो, यो गढ़ है बड़ो बाँको वो साधो
इणा रे गढ की तुम करो रे खोजना, तो पाओ चतुर सुजाना वो साधो
ऐसा है कोई बैरागी, म्हारी सूरत साहिब से लागी
ऐसा है कोई बैरागी, म्हारी सूरत साहिब से लागी
गुरुजी जोगी होय उणा ब्रह्म से झगङे
शून में बाँधों धर्मशाला साधो
ऐसा है कोई बैरागी, म्हारी सूरत साहिब से लागी ।।
Kabir ke bhajan
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Aisa hai koi bairagi
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