Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
तेरी काया नगर का कौन धणी
तेरी काया नगर का कौन धणी मारग में लुटे पांच जणी
हे पांच जाणी पच्चीस जणी मारग में लुटे पांच जणी
तेरी काया नगर का कौन धणी मारग में लुटे पांच जणी
हां आशा तृष्णा नदियां भारी बह गया संत बड़ा ब्रह्मचारी हरे हरे
है जो उभरे जो शरण तिहारी
हां चमक रही या सेल यणी मारग में लुटे पांच जणी ।।v
तेरी काया नगर का कौन धणी मारग में लुटे पांच जणी…
हां वन में लुट गया मुनीजन नग्गा डसगई ममता उल्टा टांगा हरे हरे
हां जाके कान गुरू नहीं लागे
वां सिंह रूसी पर यान बनी मारग में लुटे पांच जणी।।
तेरी काया नगर का कौन धणी मारग में लुटे पांच जणी…
हां इंद्र बिगाडी गौतम नारी कुब्जा ले गया कृष्ण मुरारी हरे हरे
राधा रुक्मण तिलक तिहारी
हां रामचंद्र पर आन बनी मारग में लुटे पांच जाणी।।
तेरी काया नगर का कौन धणी मारग में लुटे पांच जणी…
हां साधु संत मिल रोके घाटा साधु चढ़ गया उल्टी बाटा हरे हरे
हां योगट घाटा घेर लिया है
वां पार उतारो आप धणी मारग में लुटे पांच जणी।।
तेरी काया नगर का कौन धणी मारग में लुटे पांच जणी…
हां साहब कबीर गुरु दिना हेला धरमदास सुणोनित चेला हरे हरे
माया मोह में उलझ रहा सब
हां पार उतारो आप धणी मारग में लुटे पांच जणी।।
तेरी काया नगर का कौन धणी मारग में लुटे पांच जणी…
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Kabir Bhajan Lyrics
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