Nirgun Panth Ki Vani GuruVani
निर्गुण पंथ की वाणी गुरुवाणी
हां धरन गगन जल अगन पवन इन पांचों का कौन माता कौन पिता
है कोई संता करो विचार सुरता करता उल्टा ज्ञान
निर्गुण पंथ की वाणी गुरुवाणी हो वाणी जी
हां अजब सेर एक लंबा देखा वां रोपा पारस का खंबा
पांच मोहीले है पचरंगी सोलै सो मंडी
बेठ सभा के बिच भेद बतला पाखंडी
है कोई संता करो विचार सुरता करता उल्टा ज्ञान
निर्गुण पंथ की वाणी गुरुवाणी हो वाणी जी ।।
हां अधर धार एक रचा बगीचा बिन पानी माली ने सिचा
उस बागो की क्या चतुराई तले फूल ऊपर है डंडी
है कोई संता करो विचार सुरता करता उल्टा ज्ञान
निर्गुण पंथ की वाणी गुरुवाणी हो वाणी जी ।।
हां इस नगरी का राजा भारी नहीं पुरूष वो नई है नारी
ज्ञानी हो तो ज्ञान बता दो नहीं तो रख तो ताल तंदुरा
है कोई संता करो विचार सुरता करता उल्टा ज्ञान
निर्गुण पंथ की वाणी गुरुवाणी हो वाणी जी ।।
हां अमर पेड़ बडला का कहिए वहां झुल रहा निर्गुण का लड़का
मुकुट भेद मुख से ना खोले क्यो बकता बेताल
हे कोई संता करो विचार सुरता करता उल्टा ज्ञान
निर्गुण पंथ की वाणी गुरुवाणी हो वाणी जी ।।
हां तुमको नहीं मालूम रुद्रासी जाई गुरु से करो तलाशी
शंकर हे जटोरी वाला कोई लागे चातुर के बाण
है कोई संता करो विचार सुरता करता उल्टा ज्ञान
निर्गुण पंथ की वाणी गुरुवाणी हो वाणी जी ।।
हां गोरख कबीर कि या है जकड़ी कोई पहूॅंचेगा माईका लाल
है कोई संता करो विचार सुरता करता उल्टा ज्ञान
निर्गुण पंथ की वाणी गुरुवाणी हो वाणी जी ।।
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Jayhosatsahibkabirki.