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भजन गढ़ बांध लो रे भाई – Bhajan Garh Bandh Lo Re Bhai Lyrics

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 भजन गढ़ बांध लो रे भाई

Bhajan Garh bandh lo re bhai lyrics

Prahladsingh Tipanya

 

लाग्यो थारो जम संग बैर काया

भजन गढ़ बांध लो रे भाई सुमिरन गढ़ साध लो रे भाई

 

म्हारा साधु भाई गाफिल गाफिल काई फिरे

है घर आॅंगण थारो बैर संतो रे भाई

आठो आठो पहर भरम माई भुल्या रे भाई

किस विध होगा थारी खेर

भजन गढ़ बांध लो रे भाई सुमिरन गढ़ साध लो रे भाई

 

म्हारा साधु भाई घड़ी बंधईले गुरू ज्ञान की

गहरी नी मरणाउ संतो रे भाई

अच्छा अच्छा नाम हिरदा मे राखो रे भाई

गुरूजी का नाम हिरदा मे राखो रे भाई

किस विध होगा थारी खेर

भजन गढ़ बांध लो रे भाई सुमिरन गढ़ साध लो रे भाई

 

म्हारा साधु भाई तन घोड़ा मन झामकी रे

सुरत पलीता घणा खाई संतो रे भाई

सुमिरण का थम तो सेल बनाईलो साधो

किस विध होगा थारी खेर

भजन गढ़ बांध लो रे भाई सुमिरन गढ़ साध लो रे भाई

 

म्हारा साधु भाई एसा मनसुबा जो होयगा रे

है घरे घरेे आनन्द होय संतो रे भाई

मनसूक दास शरण सतगुरू की भाई आवागमन मिट जाये

भजन गढ़ बांध लो रे भाई सुमिरन गढ़ साध लो रे भाई

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Bhajan Garh Bandh lo re bhai

 

 

 

भजन गढ़ बांध लो रे भाई - Bhajan Garh Bandh Lo Re Bhai Lyrics


Bhajan Garh bandh lo
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