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बिना शीश की पणिहारी | Bina Shish Ki Panihaari

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Bina Shish Ki Panihaari Lyrics

बिना शीश की पणिहारी

अरे सोधु सबध में कणियारी भई
अरे ढूंढू सबध में कणियारी
बिना डोर जल भरे कुए पे

हां बिना शीश की पणियारी

बिना डोर जल भरे कुए पे
सोधु सबध में कणियारी भई


भव बिना खेत कुवा बिना बाड़ी
अरे जल बिना रेत चले भारी
बिना बीज एक बारी रे बोई हां बिना पात वा बेल चली
बिना चोंच का चिरकला भई
हां बाड़ी को चुगता घड़ी घड़ी
सोधु सबध में कणियारी।।


अरे लय धनुष्य वो चला शिकारी
अरे नहीं धनुष पर चांप चढ़ी
मिरग मार भुमी पर रखीया
हां नही मिरग को वा चोट लगी
उणा मिरग का मास लाया
अरे कुण नर कि हे बलिहारी
सोधु सबध में कणियारी ।।


अरे धड़ बिना शीष शीष बिना गगरी
अरे भर पाणी चली पणियारी
करो विनती उतारो गागरी
अरे जेठ जेठानी मुस्काणी
सोधु सबध में कणियारी।।


हरे बिन अग्नि जल रसोई पकाई
अरे हरे सास ननंद कि वा बहुत प्यारी
देखत भूख भगी बालम की
अरे चतुर नार की चतुराई
सोधु सबध में कणियारी।।


अरे कहे कबीर सुनो भाई साधो
अरे या बात है निर्बाणी
ईणा भजन की करो खोजना
हां उसे समझना ब्रह्मज्ञानी
सोधु सबध में कणियारी ।।


Sodhu Sabad Me Kaniyaari

 

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