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Laxmi Mantra | लक्ष्मीजी के मंत्र

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Laxmi Mantra

लक्ष्मीजी के मंत्र

लक्ष्मी मंत्र: महालक्ष्मी के इन मंत्रो को नित्य प्रातः काल जाप करने से मन की शांति तो होती है इसके साथ साथ धन, वैभव एवं यश की प्राप्ति होती है। इसके जाप से समस्त प्रकार के कष्ट दूर हो जाते है एवं घर में सुख शांति बनी रहती है। मां लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहे इसलिए इन मंत्रो का महत्व बहुत अधिक है, अतः मंत्रो का नित्य जाप करना चाहिए।

मंत्र जाप विधी: महालक्ष्मी के इन मंत्रो को प्रातः काल सूर्योदय से पहेल उठकर, नहा धोकर जैसे ही सूर्योदय होता है उसके साथ साथ इन सभी मंत्रो को कम से कम एक-एक बार अवश्य जाप करें । जाप करते समय अपने साथ एक अछुत जल का लोटा साथ में रखें एवं जाप पूर्ण होने के बाद उस जल के लोटे को मां तुलसी में समाहित कर दें। इन मंत्र जाप को सवा महिने तक करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते है एवं घर में धन की आवक बनी रहती है।


Laxmi Mantra in hindi

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥
अर्थः सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मन्त्रपूत भगवति महालक्ष्मि! तुम्हें सदा प्रणाम है। सदैव नमन है।


सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदुरूखहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तु ते॥
अर्थः सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दुःखों को दूर करने वाली, हे देवी महालक्ष्मी! तुम्हें नमन है।


नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥
अर्थः गरुड पर सवार होकर कोलासुर को भय देने वाली और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवति महालक्ष्मी! तुम्हें नमस्कार है।


नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोस्तु ते॥
अर्थः श्रीपीठ पर स्थित और देवताओं से पूजित होने वाली हे महामाये। तुम्हें नमस्कार है। हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी! तुम्हें प्रणाम है।


त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मी र्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥
अर्थः जो प्रतिदिन तीन काल पाठ करता है उसके सभी शत्रुओं का नाश हो जाता है और उसके ऊपर कल्याण कारिणी वरदायिनी महालक्ष्मी सदा ही प्रसन्न होती हैं।


आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्ति महेश्वरी।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥
अर्थः हे देवी! हे आदि-अन्त-रहित आदिशक्ते ! देवी महेश्वरी! हे योग से प्रकट हुई भगवति महालक्ष्मि! तुम्हें नमस्कार है।


महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्ति मान्नरः।
सर्वसिद्धिमवापनेति राज्यं प्रापनेति सर्वदा॥
अर्थः जो मनुष्य भक्ति युक्त होकर इस महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र का सदा पाठ करता है, वह सारी सिद्धियों और राज्यवैभव को प्राप्त कर सकता है।


Laxmi Mata Mantra


स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तु ते॥
अर्थ: हे देवी! तुम स्थूल, सूक्ष्म एवं महारौद्ररूपिणी हो, महाशक्ति हो, महोदरा हो और बडे-बडे पापों का नाश करने वाली हो। हे देवि महालक्ष्मी! तुम्हें नमस्कार है।


पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तु ते॥
अर्थः हे कमल के आसन पर विराजमान परब्रह्मस्वरूपिणी देवि! हे परमेश्वरि! देवी जगदम्ब! हे महालक्ष्मी! तुम्हें मेरा प्रणाम है।


श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तु ते॥
अर्थः हे देवि तुम श्वेत वस्त्र धारण करने वाली और नाना प्रकार के आभूषणों से विभूषिता हो। सम्पूर्ण जगत् में व्याप्त एवं अखिल लोक को जन्म देने वाली हो। हे महालक्ष्मी! तुम्हें सदैव प्रणाम है।


एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितरू॥
अर्थः जो प्रतिदिन एक समय पाठ करता है, उसके बडे-बडे पापों का नाश हो जाता है। जो दो समय पाठ करता है, वह धन-धान्य से सम्पन्न होता है।

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Laxmi Manta


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Profit of Laxmi Mantra

लक्ष्मी मंत्र के लाभ: महालक्ष्मी के मंत्रों को विधी अनुसार एवं नित्य सवा महिने तक या प्रतिदिन करने से धन के अनेक मार्ग खुल जाते है, सभी बाधाये, कष्ट, परेशानियां दूर हो जाती है एवं घर में सुख शांति एवं वैभव बना रहता है, मन में किसी प्रकार का बुरा ख्याल नही आता एवं बुरे लोगो की संगती अपने आप दूर हो जाती है एवं मस्तिष्क में अच्छे विचारों का निर्माण होता है जिससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में प्रवेश कर जाती है एवं घर को सुख समृद्धि से भर देती है । अतः महालक्ष्मी के जाप से अनेक प्रकार लाभ प्राप्त होते है।


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