प्रेम न बारी उपजे | Prem na bari upje | Kabir Das
Prem na bari upje प्रेम न बारी उपजे प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए । राजा प्रजा जो ही रुचे, सिस दे ही ले जाए । भावार्थ: कबीर…
Prem na bari upje प्रेम न बारी उपजे प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए । राजा प्रजा जो ही रुचे, सिस दे ही ले जाए । भावार्थ: कबीर…
Tan ko jogi sab kare तन को जोगी सब करे तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय । सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होए । भावार्थ:…
Tirath Gaye Se ek Fal तीरथ गए से एक फल तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार । सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार । अर्थ -…
Te din gaye akarath hi ते दिन गए अकारथ ही प्रेम बिना पशु जीवन, भक्ति बिना भगवंत । अर्थ - कबीर दास जी कहते हैं कि अब तक जो समय…
Jag me beri koi nahi जग में बैरी कोई नहीं जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय। यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय।। अर्थ -…
Jal me base kamodani जल में बसे कमोदनी जल में बसे कमोदनी, चंदा बसे आकाश । जो है जा को भावना, सो ताहि के पास । अर्थ - कमल जल…
Jo ghat prem na sanchare जो घट प्रेम न संचरे जो घट प्रेम न संचरे, जो घट जान सामान । जैसे खाल लुहार की, सांस लेत बिनु प्राण अर्थ -…
Jahan Daya Tahan Dharm Hai कबीर दास के दोहे जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप । जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप । अर्थ…
Jyo til mahi tel hai ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग । तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग ।। अर्थ - कबीर दास…
Malin aawat dekh ke kaliya kahe pukar मालिन आवत देख के... मालिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार । फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार ।। अर्थ - कबीरदास…